tag:blogger.com,1999:blog-2239179905479558152023-11-15T09:04:58.599-08:00हिंदी की सेवा करने के लियेहिंदी की सेवा करने वालाhttp://www.blogger.com/profile/18312165091488248534noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-223917990547955815.post-7030237981166763592008-10-16T06:38:00.000-07:002008-10-16T06:42:02.633-07:00निदा फाज़ली की एक नज़्म सुनेंवो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की<br />जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है<br />सुना है वो किसी लड़के से प्यार करती है<br />बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है<br />न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन<br />न जाने क्यूँ बस उसी वक़्त जब वो आती है<br />कुछ इंतिज़ार की आदत सी हो गई है मुझे<br />एक अजनबी की ज़रूरत हो गई है मुझे<br />मेरे बरांडे के आगे यह फूस का छप्पर<br />गली के मोड पे खडा हुआ सा एक पत्थर<br />वो एक झुकती हुई बदनुमा सी नीम की शाख<br />और उस पे जंगली कबूतर के घोंसले का निशाँ<br />यह सारी चीजें कि जैसे मुझी में शामिल हैं<br />मेरे दुखों में मेरी हर खुशी में शामिल हैं<br />मैं चाहता हूँ कि वो भी यूं ही गुज़रती रहे<br />अदा-ओ-नाज़ से लड़के को प्यार करती रहे<br />निदा फाज़लीहिंदी की सेवा करने वालाhttp://www.blogger.com/profile/18312165091488248534noreply@blogger.com5