Thursday, October 16, 2008

निदा फाज़ली की एक नज्‍़म सुनें

वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की
जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है
सुना है वो किसी लड़के से प्यार करती है
बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है
न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन
न जाने क्यूँ बस उसी वक़्त जब वो आती है
कुछ इंतिज़ार की आदत सी हो गई है मुझे
एक अजनबी की ज़रूरत हो गई है मुझे
मेरे बरांडे के आगे यह फूस का छप्पर
गली के मोड पे खडा हुआ सा एक पत्थर
वो एक झुकती हुई बदनुमा सी नीम की शाख
और उस पे जंगली कबूतर के घोंसले का निशाँ
यह सारी चीजें कि जैसे मुझी में शामिल हैं
मेरे दुखों में मेरी हर खुशी में शामिल हैं
मैं चाहता हूँ कि वो भी यूं ही गुज़रती रहे
अदा-ओ-नाज़ से लड़के को प्यार करती रहे
निदा फाज़ली

5 comments:

Smart Indian said...

Nida Fazli saheb is just excellent!

नीरज गोस्वामी said...

अब निदा फाजली साहेब की नज़्म के लिए क्या कहा जा सकता सिवा...वाह वा..करने के...शुक्रिया आपका इसे पेश करने के लिए...
नीरज

Om Sapra said...

dear all readers,
namastey,
it is a good blog and has a good start with nida fazli sahib, who needs no appreciation and is a piiar of urdu poetry.

thanks for giving his "nazm".
- Om Sapra
delhi-9
9818180932

दुलाराम सहारण said...

नमस्‍कार,

राजस्‍थान से नित्‍य-प्रति अनेक चिट्ठे (ब्‍लॉग) लिखे जा रहे हैं। हम जैसे अनेक हैं जो उनको पढ़ना चाहते हैं। खासकर चुनिंदा ताजा प्रविष्ठियों को।
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नित्‍य-प्रति हम एक-दूसरे से जुड़ा रहना चाहते हैं। ब्‍लॉगिंग का विस्‍तार ही हमारा ध्‍येय हैं।

सुझाव-सलाह आमंत्रित है।

सादर।

दुलाराम सहारण
चूरू-राजस्‍थान
www.dularam.blogspot.com

बालमुकुन्द अग्रवाल,पेंड्रा said...

इंटरनेट पर विचरण करते हुए आपके ब्लाग पर आगमन हुआ.आपके विचारों से अवगत हुआ.यशस्वी एवं सार्थक ब्लाग जीवन के लिए शुभकामनाएं स्वीकारें